Inspiring Hindi Story- कबूतर और बहेलिआ

चावल के दाने

एक समय की बात है एक कबूतरों का झुण्ड आकाश में उड़ता हुआ जा रहा था तभी उस झुण्ड ने नीचे चावल के दानो को बिखरा हुआ देखा | सभी कबूतर अनाज के लालच में आ आ गये परन्तु उनमे एक समझदार कबूतर था जिसका नाम था चित्रग्रीव|
चित्रग्रीव ने बोला “साथियो इस जंगल में चावल के दाने कहाँ से आ गए जरूर कुछ दाल में काला है | हमें लालच नहीं करना चाहिएऔर उड़ते रहना चाहिए |
आगे वो समझाते हुए बोला “अच्छी रीति से पका हुआ भोजन, विद्यावान पुत्र, सुशिक्षित अर्थात आज्ञाकारिणी स्री, अच्छे प्रकार से सेवा किया हुआ राजा, सोच कर कहा हुआ वचन, और विचार कर किया हुआ काम ये बहुत काल तक भी नहीं बिछड़ते हैं।

कबूतर

चित्रग्रीव का विरोध कबूतर द्वारा

तभी एक दुसरे कबूतर ने कहा ” इस तरह तो हमें अनाज ही नहीं मिलेगा खाने को अगर हम हर बात में संदेह करेंगे| ईष्या करने वाला, घृणा करने वाला, असंतोषी, क्रोधी, सदा संदेह करने वाला और पराये आसरे जीने वाला ये छः प्रकार के मनुष्य हमेशा दुखी होते हैं।”
यह सुनकर भी सब कबूतर बहेलिये के चावल के दाने जहाँ पड़े थे, वहाँ बैठ गये। सत्य कहा ही गया है कि अच्छे बड़े- बड़े शास्रों को पढ़ने तथा सुनने वाले और संदेहों को दूर करने वाले भी लोभ के वश में पड़ कर दुख भोगते हैं।
लोभ से क्रोध उत्पन्न होता है, लोभ से विषय भोग की इच्छा होती है और लोभ से मोह और नाश होता है, इसलिए लोभ ही पाप की जड़ है।
सोने के मृग का होना असंभव है, तब भी भगवन रामचंद्रजी सोने के मृग के पीछे लुभा गये, इसलिये विपत्तिकाल आने पर महापुरुषों की बुद्धियाँ भी बहुधा मलिन हो जाती है|

चित्रग्रीव का जबाब

अब सब उस कबूतर की बुराई करने लगे जिसके कहने पर वो चावल के दाने के लिए उतरे थे इसीलिए कहा गया है कि समूह के आगे मुखिया होकर न जाना चाहिये। क्योंकि यदि काम सिद्ध हो गया तो फल सबों को बराबर प्राप्त होगा, और अगर काम बिगड़ गया तो मुखिया ही मारा जाएगा।
सबको उसकी बुराई करते देख चित्रग्रीव बोला– “” इसका कुछ दोष नहीं है| परिस्थितिवश हितकारक पदार्थ भी आने वाली आपत्तियों का कारण हो जाती है, जैसे गोदोहन के समय गाय की जाँघ ही बछड़े के बाँधने का खूँटा हो जाती है।”
बंधु वह है, जो आपत्ति में पड़े हुए मनुष्यों को निकालने में समर्थ हो और जो दुखियों की रक्षा करने के उपाय बताने की बजाय उलाहना देने में चतुराई समझे, वह बंधु नहीं है।

आपत्ति से घबरा जाना तो कायर पुरुष का चिन्ह है, इसलिये धीरज धर कर उपाय सोचना चाहिए। इसलिए हमें धैर्य से काम लेना होगा “
यह कहने के बाद चित्रग्रीव कबूतर ने कहा “सब मिल कर प्रयास करो और जाल को साथ लेकर उड़ चलो क्यूंकि छोटी- छोटी वस्तुओं के समूह से भी कार्य सिद्ध हो जाता है, जैसे घास की बटी हुई रस्सियों से मतवाला हाथी भी बाँधे जाते हैं।”
सभी कबूतर ने चित्रग्रीव की बात को ध्यान से सुना और जाल लेकर उड़ चले और बहेलिआ उन्हें उड़ता देख हाँथ मलता रह गया |

शिक्षा – कभी भी लालच नहीं करना चाहिए , अपने से बुद्धिमान व्यक्ति की बातो को सुनना चाहिए और व्यर्थ के तर्क से अपने को सिद्ध नहीं करना चाहिए | सबसे जरूरी शिक्षा यह है कि एकता में शक्ति होती है इसलिए हमें मिलजुल कर कार्य करना चाहिए |

Leave a comment