Amazing Hindi Short Stories Part 1

हम आपके लिए Hindi Short Stories के फर्स्ट पार्ट में लाये है, ऐसी 2 कहानिया जो आपने अपने बड़ो से सुनी होंगी और जो अब हमें अपने छोटो को सुनानी चाहिए | ऐसी Hindi Short कहानिया जो मनोरंजक के साथ शिक्षाप्रद भी है|

Short story 1-अर्धसत्य

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रणक्षेत्र योद्धाओ से भरा हुआ था , चारो तरफ कोलाहल था ,युद्ध का पन्द्रहवा दिन चल रहा था| पांडव शिविर में सब बहुत ही चिंतित और व्याकुल थे ,कारण थे कौरवो के सेनापति महारथी द्रोणाचार्य जिन्होंने निश्चय कर लिया था कि वो इतना विकराल युद्ध लड़ेंगे की सभी देखते रह जायेंगे |
पांडवो के शिविर में चिंतन हुआ कि द्रोणाचार्य को कैसे रोका जाए तभी श्री कृष्ण ने युक्ति बतायी|
अवन्तिराज के पास अश्वथामा नाम का एक हाथी था , महारथी भीम ने उस हांथी को मार दिया और यह अफवाह फैला दी गयी कि अश्वथामा मारा गया | यह सुन कर द्रोणाचार्य को विश्वास नहीं हुआ और वो उसकी पुष्टि के लिए धर्मराज युधिष्ठिर के पास गए |
धर्मराज युधिष्ठिर सत्य बोलने के लिए प्रसिद्ध थे परन्तु जब द्रोणाचार्य ने उनसे पूँछा तो वह बोले ” हां ,अश्वथामा मारा गया किन्तु हांथी ” उन्होंने जान कर “किन्तु हांथी ” धीरे बोला |
यह अर्धसत्य सुनकर द्रोणाचार्य व्याकुल हो गए और वह अस्त्र रख कर ध्यान लगाने लगे तभी द्रोपदी के भाई ने दृष्टधुम्न ने द्रोणाचार्य का वध कर दिया | इसी अर्धसत्य की वजह से अंत में सदेह स्वर्ग जाते समय धर्मराज युधिष्ठिर के एक अंगूठा गल गया था |

शिक्षा – अर्धसत्य झूठ से ज्यादा खतरनाक होता है | झूठ का तो पता चल सकता है, पर अर्धसत्य में सत्य आंशिक इस तरह मिला होता है कि यह जानना मुश्किल होता है की सत्य कितना है और झूठ | अश्वथामा का मरना तो सत्य था परन्तु हाथी मरा या हांथी यह जानना मुश्किल था |

Short story 2-एक हांथी और 6 अंधे व्यक्ति

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बहुत समय पहले की बात है , एक गाँव में ६ अंधे रहते थे | एक दिन उस गाँव में एक हांथी आया ,उन अंधे आदमियों को पता चला तो उन्होंने आपस में कहा ” हम लोगो ने कभी हांथी को नहीं देखा था और अब देख भी नहीं सकते पर आज हम हांथी को छू कर पता कर सकते है कि हांथी कैसा दिखता है?”

सभी ने सहमति दिखाई और हांथी का अनुभव करने चल दिए |
हांथी के पास पहुंच कर पहला व्यक्ति पैर छूते हुए बोला “हांथी खम्बे की तरह होता है “
तभी दूसरा व्यक्ति सूंड पकड़ते हुए कहने लगा ” अरे नहीं ,हांथी पेड़ के तने की तरह है|
तीसरे व्यक्ति ने पूँछ पकड़ते हुए कहा “हाथी तो रस्सी की तरह होता है” .
चौथे ने पेट पर हाँथ रखते हुए कहा ” यह तो दीवार की तरह है “
पांचवा अँधा कान को पकड़ते हुए बोला ” अरे तुम सब कुछ नहीं जाह्ते यह तो एक बड़े पंख के सामान है ”
छठा व्यक्ति ज्यादा समझदारी दिखते हुए बोलने लगा “हांथी कठोर नली की तरह होता है” ऐसा क्यूंकि उसने दांत छुए थे | इ
सी बात पर सभी आपस में लड़ने लगे तभी एक बुद्धिमान व्यक्ति वह से गुजरा उसने देखा और लड़ने की वजह पूछी सबने अपनी बाते रखी की हांथी कैसा दिखता है ?
उस बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा ” तुम सब अपनी-अपनी जगह सही हो क्योंकि तुम सबने हांथी को अपने अनुभवों से जाना है पर सम्पूर्णता में हांथी को किसी ने नहीं जाना है | ” उसके बाद उसने हांथी कैसा दीखता है? सबको बताया सभी अंधे व्यक्ति यह जान कर कि हांथी कैसा दीखता है और वह सभी आंशिक रूप से सही थे ,संतुष्ट हो गए |

शिक्षा – सभी व्यक्ति आपस में लड़ते रहते है यह सोच कर कि वही सही कह रहे है परन्तु सब का सत्य सबके अपने दृषिटकोण (perception )के अनुसार होता है। सम्पूर्णता में सत्य कोई नहीं जानता |
कहा भी जाता है कि सत्य निरपेक्ष नहीं होता सत्य सदैव सापेक्ष होता है | हमें बहस में पड़ने से पहले सोचना चाहिए कि दूसरा व्यक्ति भी हो सकता है सत्य बोल रहा हो बस उसका नजरिया अलग हो | हमारे वेदो में भी कह गया है

मुंडे मुंडे मतिर्भिन्नाजितने मनुष्य है उतने विचार है |

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